MP Board Class 12th Physics Notes Chapter 5 in Hindi

Chapter 5 चुंबकत्व और द्रव्य Physics Class 12th  समाधान वर्तमान और चुंबकत्व के बढ़ते प्रभाव पर आधारित है। Chapter और Units चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं में बार चुंबक के बारे में हैं जो चुंबकीय क्षेत्र के समतुल्यता को जानने में आपकी सहायता करते हैं। यह अध्याय एक समान चुंबकीय क्षेत्र में एक द्विध्रुवीय से भी संबंधित है। Class 12th  के Physics के छात्रों को विषय को समझने और बेहतर score करने में मदद मिल सके। चुंबकत्व पूरी तरह से मैग्नेट के उपयोग से संबंधित नहीं है, लेकिन घटनाओं और विभिन्न अनुप्रयोगों में उपयोग की जाने वाली अवधारणाओं के साथ।

MP Board Class 12th Physics Notes Chapter 5 (Magnetism and Matter) in Hindi 

हर प्रश्न एक आसान समाधान के साथ पूरी तरह से हल किया जाता है ताकि आप परीक्षा के लिए अच्छी तरह से तैयारी कर सकें। जितना अधिक आप चुंबकत्व का अभ्यास करेंगे और NCERT समाधानों को महत्व देंगे, उतना ही आप विषय और अध्याय में कुशल होंगे। आप Class12 भौतिकी अध्याय 5 के लिए NCERT Solution  की मदद से अपनी परीक्षा में निश्चित रूप से असाधारण ग्रेड हासिल करेंगे क्योंकि पूरा अध्याय रेखांकन, चित्र, चित्र और अन्य उदाहरणों से भरा है। 
आप Free PDF Download कर सकते हैं और उन सभी प्रश्नों के समाधान का अभ्यास कर सकते हैं जो आपकी मदद के लिए हल किए गए हैं।

चुंबकत्व और द्रव्य कक्षा 12 NCERT समाधान – अध्याय अवलोकन

Magnetism and Matter (चुंबकत्व और द्रव्य) Class 12th NCERT समाधान में 23 पूर्णांक प्रश्न और उत्तर दिए गए हैं, जिन पर सूत्रों और समाधानों के साथ चर्चा की गई है। NCERT आपको उत्तर की गुणवत्ता बढ़ाने और पाठ्यक्रम को पूरा करने में मदद करेगा। यहां उन प्रश्नों के समाधान दिए गए हैं जो विशेष रूप से हमारे विषय विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए हैं। परीक्षा के लिए खुद को तैयार करें और उच्च ग्रेड प्राप्त करें| 

एमपी बोर्ड कक्षा 12वीं भौतिकी नोट्स अध्याय 5 चुंबकत्व और द्रव्य

प्रश्न -01) चुम्बक किसे कहते हैं यह कितने प्रकार का होता है ?
 
उत्तर -01) चुम्बक :- वह पदार्थ जो चुम्बकीय वस्तु ( जैसे लोहा ,कोबाल्ट, निखिल ) को आकर्षित करता है चुम्बक कहलाता है, तथा चुम्बक द्वारा चुम्बकीय वस्तुओं को आकर्षित करने के गुण को चुम्बकत्व कहते हैं 
चुम्बक दो प्रकार के होते हैं।
1) प्राकृतिक चुम्बक
 2)  कृत्रिम चुम्बक 
1) प्राकृतिक चुम्बक :- यह प्रकृति से प्राप्त होते हैं इनकी आकर्षण शक्ति कम होती है तथा इनका कोई निश्चित आकार नहीं होता है यह बेडोल होते हैं।
2) कृत्रिम चुम्बक :- यह मनुष्य द्वारा बनाए जाते हैं इनकी आकर्षण शक्ति बहुत अधिक होती है तथा इनकी आकृति भी निश्चित होती है
कृत्रिम चुम्बक दो प्रकार के होते हैं ।
i) अस्थाई चुम्बक:-  वह चुम्बक जिसका चुम्बकत्व शीघ्र नष्ट हो जाता है अस्थाई चुंबक कहलाता है यह मुलायम लोहे का बनाया जाता है मुलायम लोहे पर धात्विक तार की कुंडली लपेट कर कुंडली में धारा बहाने से चुम्बक बन जाता है इसका चुम्बकत्व केवल तभी तक रहता है जब तक की कुंडली में धारा बहती है कुंडली में धारा प्रवाह बंद करने पर लोहे का चुम्बकत्व समाप्त हो जाता है।
ii) स्थाई चुम्बक :- वह चुम्बक जिसका चुम्बकत्व शीघ्र नष्ट नहीं होता है अपितु स्थाई चुम्बक होता है, स्थाई चुम्बक कहलाता है यह स्टील, निकिल, कोबाल्ट आदि का बनाया जाता है।
 
प्रश्न -02) चुम्बक के सामान गुण लिखिए ?
 
उत्तर -02) चुम्बक के गुण :- चुम्बक के सामान्य गुण निम्नलिखित हैं।
i) आकर्षण गुण :- चुम्बक चुम्बकीय पदार्थों को अपनी और आकर्षित करता है चुम्बक के सिरों पर आकर्षण शक्ति सबसे अधिक होती है तथा बीच में कम होती है इन सिरो को चुम्बक के ध्रुव कहते हैं।
ii)  दैशिक गुण :- यदि किसी चुम्बक को स्वतंत्रता पूर्वक लटका दिया जाए, तो वह सदैव उत्तर दक्षिण दिशा में ही ठहरता है, जो सिरा उत्तर दिशा में ठहरता है उसे उत्तरीय ध्रुव कहते हैं। तथा जो सिरा दक्षिण दिशा में ठहरता है उसे दक्षिण ध्रुव कहते हैं।
iii) चुम्बक के सजातीय ध्रुवों में परस्पर प्रतिकर्षण तथा विजातीय ध्रुवों में परस्पर आकर्षण होता है।
iv) चुम्बक, चुम्बकीय  पदार्थों में प्रेरण द्वारा चुम्बकत्व उत्पन्न कर देता है।
v) एक अकेले चुम्बकीय ध्रुव को अस्थित्व नहीं होता है। अर्थात चुम्बक के ध्रुवों को अलग – अलग करना सम्भव नहीं है।
vi) चुम्बक को पीटने, पटकने गर्म करने या घिसने पर उसका चुम्बकत्व समाप्त हो जाता है।
 
प्रश्न – 03) चुम्बकीय प्रेरण से क्या अभिप्राय है ? 
 
उत्तर – 03) यदि नर्म लोहे की छड़ को किसी चुम्बक के एक ध्रुव के पास लाते है, तो वह छड़ भी अस्थाई चुम्बक बन जाती है छड़ के उस सिरे पर जो चुम्बक के ध्रुव के पास है विजातीय ध्रुव बनता है। तथा दूसरे दूर वाले सिरे पर सजातीय  ध्रुव बनता है यदि चुम्बक को हटा लेते है। तो छड़ का चुम्बकत्व समाप्त हो जाता है इस घटना को चुम्बकीय प्रेरण कहते है। अर्थात चुम्बक की उपस्थिति किसी चुम्बकीय पदार्थ में आस्थाई चुम्बकत्व उत्पन्न होने की घटना को चुम्बकीय प्रेरण कहते है।
 
प्रश्न -04 ) चुंबकीय अक्ष, निरक्ष और  प्रभाव कारी लंबाई से क्या अभिप्राय है?
 
उत्तर – 04)  1) चुंबकीय अक्ष :- चुम्बक के दोनों ध्रुवों को मिलाने पर वाली रेखा को चुंबकीय अक्ष कहते हैं इसे दोनों और चाहे जितना बढ़ाया जा सकता है।
2) चुंबकीय निरक्ष :- चुम्बक के मध्य बिंदु से होकर जाने वाली ऊधर्वाधर रेखा को चुंबकीय निरक्ष कहते हैं।
3) प्रभाव कारी लंबाई :- चुम्बक के दोनों ध्रुवों  के बीच की दूरी को प्रभाव कारी लंबाई कहते हैं इसे 2L से प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न -05) चुंबकीय द्विध्रुव तथा द्विध्रुव आघूर्ण से क्या अभिप्राय है?
 
उत्तर -05) परस्पर कुछ दूरी पर रखे दो बराबर व विपरीत ध्रुव प्रबलता के दो ध्रुवों का निकाय एक चुंबकीय द्विध्रुव कहलाता है।
 
चुंबकीय द्विध्रुव तथा द्विध्रुव आघूर्ण
चित्र में ध्रुव प्रबलता m  तथा -m  के दो ध्रुव एक दूसरे से दूरी पर स्थित है यह एक चुंबकीय द्विध्रुव बनाते हैं चुंबक के एक ध्रुव की ध्रुव प्रबलता तथा दोनों ध्रुवों के बीच की दूरी के गुणनफल को द्विध्रुव आघूर्ण कहते हैं इसे अक्षर M से प्रदर्शित करते हैं|
अर्थात चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्ण M = m×2L
 
प्रश्न – 06) चुंबकीय क्षेत्र एवं चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता से आप क्या समझते हैं इसका मात्रक और विमीय सूत्र लिखिए?
 
उत्तर -06) चुंबकीय क्षेत्र :- किसी चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें इस चुम्बक के प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है चुंबकीय क्षेत्र कहलाता है।
चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता :- किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता उस बिंदु पर रखें एक काल्पनिक एकांक उत्तरीय ध्रुव पर लगने वाले बल के बराबर होती है चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता एक सदिश राशि है इसका S.I. पद्धति में मात्रक  न्यूटन / एम्पियर × मीटर है  तथा विमीय सूत्र  ML⁰T²A-¹  होता है
 
प्रश्न -07) चुंबक द्विध्रुव संबंधी कूलाम का व्युत्क्रम वर्ग नियम लिखिए ।
 
उत्तर -07) कूलाम के नियम अनुसार दो चुंबकीय ध्रुवों के बीच लगने वाला बल उनकी ध्रुव प्रबलताओ के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
कूलाम-का-व्युत्क्रम-वर्ग-नियम
कूलाम का व्युत्क्रम वर्ग नियम
 
चित्र में AB दो चुंबकीय ध्रुव है इनकी ध्रुव प्रबलता क्रमशः M1 व M2 है तथा बीच की दूरी r है तब कूलाम के नियम अनुसार इनके बीच लगने वाला बल 
चुंबक द्विध्रुव संबंधी कूलाम का व्युत्क्रम वर्ग नियम
 
प्रश्न -08)चुंबकीय द्विध्रुव की अक्षीय स्थिति ( अनुदैर्ध्य दिशा )  में स्थित किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता की गणना कीजिए।
 
उत्तर -08) 
चुंबकीय-द्विध्रुव-की-अक्षीय-स्थिति
चित्र : चुंबकीय द्विध्रुव की अक्षीय स्थिति में स्थित किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता 
 
चित्र मे एक चुंबकीय द्विध्रुव NS है जिसकी ध्रुव प्रबलता m प्रभावकरी लंबाई 2L तथा चुंबकीय आघूर्ण m=mx2L चुंबक के मध्य बिंदु 0 से इसकी अक्षीय स्थिति में r दूरी पर स्थित बिंदु p है जहां हमें चुंबकीय क्षेत्र के तीव्रता ज्ञात करनी है इसके लिए p बिंदु पर एकांक प उत्तरी ध्रुव की कल्पना करते हैं ,
चित्र से स्पष्ट है कि    OP = r
                               PN = ( r – l )
                               SP = ( r + l )
 
चुम्बक के उत्तरी ध्रुव N के कारण P बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता :-
 
चुंबक के दक्षिणी ध्रुव S के कारण P बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता :-
 
चुंबकीय द्विध्रुव की अक्षीय स्थिति ( अनुदैर्ध्य दिशा )
 
उपर्युक्त समीकरणों से स्पष्ट है कि B1 व B2 के परिमाण अलग-अलग हैं और दिशाएं विपरीत हैं साथ ही B1 का परिमाण B2 से अधिक है 
अतः P बिंदु का परिणामी चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता
 
चुंबकीय द्विध्रुव की अक्षीय स्थिति में स्थित किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता
 
प्रश्न -09) चुंबकीय द्विध्रुव के कारण इसकी निरक्षीय स्थिति ( अनुप्रस्थ दिशा ) में स्थित किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता की गणना कीजिए ?
 
उत्तर –

 

चुंबकीय-द्विध्रुव-के-कारण-इसकी-निरक्षीय-स्थिति-(-अनुप्रस्थ-दिशा-)-में-स्थित-किसी-बिंदु-पर-चुंबकीय-क्षेत्र-की-तीव्रता
 चित्र : चुंबकीय द्विध्रुव के कारण इसकी निरक्षीय स्थिति ( अनुप्रस्थ दिशा ) में चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता

चित्र में NS चुंबकीय द्विध्रुव है जिसकी प्रभावकारी लंबाई 2l है और ध्रुव प्रबलता m है चुंबकीय आघूर्ण M=mx2l है चुंबकीय द्विध्रुव के मध्य बिंद 0 से इसकी निरक्षीय स्थिति में r दूरी पर एक बिंदु P है जहां हमें चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है इसके लिए बिंदु P पर एकांक उत्तरी ध्रुव की कल्पना करते हैं

चित्र से स्पष्ट है कि 
चुंबक के उत्तरी ध्रुव N के कारण P बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता :-
 

चुंबक के दक्षिणी ध्रुव के कारण P बिंदु पर चुंबकी क्षेत्र की तीव्रता

 
उपयुक्त समीकरण से स्पष्ट है कि B1 व B2 के परिमाण तो सामान हैं किन्तु दिशाएं अलग अलग हैं P बिंदु पर परिणामी चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करने के लिए B1 व  B2 को उधर्वाधर व क्षैतिज घटकों में भी वियोजित किया गया है| स्पष्ट है उधर्वाधर घटकों के परिणाम तो सामान है लेकिन दिशाएं विपरीत होने के कारण यह एक दूसरे के प्रभाव को निष्फल कर देते हैं क्षैतिज घटकों के परिमाण और दिशाएं सामान होने के कारण यह आपस में जुड़ जाते हैं 
अतः बिंदु का परिणाम चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता
 
चुंबकीय द्विध्रुव के कारण इसकी निरक्षीय स्थिति ( अनुप्रस्थ दिशा ) में स्थित किसी बिंदु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता
 
प्रश्न -10) एक समान चुंबकीय क्षेत्र में चुंबकीय द्विध्रुव पर लगने वाले बल आघूर्ण की गणना कीजिए ?
 
उत्तर – 

 

एक समान चुंबकीय क्षेत्र में चुंबकीय द्विध्रुव पर लगने वाले बल आघूर्ण की गणना कीजिए ?

चित्र में एक दंड चुंबक NS है जिसकी प्रभावकारी लंबाई 2l तथा चुंबकीय आघूर्ण M है यह एक समान चुंबकीय क्षेत्र B में चुंबकीय क्षेत्र की दिशा से θ कोण बनाते हुए रखा है | 

स्पष्ट है कि चुंबकीय क्षेत्र B के कारण चुंबक के उत्तरी ध्रुव N पर लगने वाला बल mb चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में है तथा दक्षिणी ध्रुव S पर लगने वाला बल mb चुंबकीय क्षेत्र की विपरीत दिशा में है यह दोनों बराबर व विपरीत बल मिलकर एक बलयुग्म बनाते हैं जो चुंबक को चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में लाने का प्रयत्न करता है इस बल को प्रत्यानयन बल आघूर्ण कहते हैं 
अतः प्रत्यानयन बल युग्म τ = बल x बलों के बीच की लंबवत दूरी
एक समान चुंबकीय क्षेत्र में चुंबकीय द्विध्रुव पर लगने वाले बल आघूर्ण की गणना

01) अधिकतम बल :- यदि चुंबक चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के साथ θ = 90 का कोण बनाती है तो उस पर अधिकतम बल लगता है | 

अधिकतम बल τ = MBSin90
                        τ = MB x 1 
                     τ = MB
02) न्यूनतम बल :- यदि चुंबक चुंबकीय क्षेत्र के समांतर होती है अर्थात θ = 90 तब न्यूनतम बल लगता है |
  न्यूनतम बल :-   τ = MBSin0
                            τ = MB x 0
                         τ = 0
.
प्रश्न -11)  धारावाही परिनालिका क्या है? इसके प्रयोग का वर्णन कीजिए।
 
उत्तर -11) कागज के गत्ते की बेलनाकार खोखली नली लेकर उसके ऊपर तांबे के विद्युत रोधी तार को लपेटकर एक कुंडली बना लेते हैं इसे परिनालिका कहते हैं इसका व्यवहार ठीक दंड चुंबक के समान होता है
धारावाही परिनालिका
 धारावाही परिनालिका 
परीनालिका के दोनों सिरों के बीच एक सेल व कुंजी जोड़ देते हैं तथा परिनालिका को रेशम के धागे की सहायता से इस प्रकार लटकाते  हैं कि वह क्षेतिज तल में सफलतापूर्वक घूम सके।
 
प्रेक्षण:- 1) जब परीनालिका में धारा प्रवाहित नहीं की जाती है तो यह किसी भी स्थिति में ठहर  जाती है।
 
2) जैसे ही कुंजी बंद करके परीनलिका में धारा बहाते हैं यह अपनी  अक्ष को एक निश्चित दिशा में भौगोलिक उत्तर दक्षिण दिशा में लाकर ठहरती है यदि इसे इस स्थिति में थोड़ा – सा  घुमाया जाता है तब भी यह पुनः उसी दिशा में आकर ठहरती है ।
 
3) यदि सेल के सिरोको उलट कर परिनालिका में   प्रवाहित धारा की दिशा उलत दी जाती है तो हम देखते हैं कि परिनालिका भी 180⁰ घूम जाती है।
 
प्रश्न – 12) चुंबकीय याम्योत्तर तथा भौगोलिक याम्योत्तर से क्या अभिप्राय है ?
 
उत्तर – चुंबकीय याम्योत्तर :- पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव को मिलाने वाली रेखा को चुंबकीय कहते हैं तथा इससे होकर गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर तल को चुंबकीय याम्योत्तर  कहते हैं।
 
भौगोलिक याम्योत्तर :- भौगोलिक उत्तर दक्षिणी ध्रुवो को मिलाने वाली रेखा को भौगोलिक अक्ष कहते हैं तथा इस से होकर गुजरने वाले ऊर्ध्वाधर तल को भौगोलिक याम्योत्तर कहते हैं।
 
प्रश्न – 13) पृथ्वी के चुंबकत्व के अवयवों V, H, I और  V, H, O में संबंध स्थापित कीजिए ?
                                                    अथवा
                सिद्ध कीजिए कि V=Htanθ तथा I= V^2+H^2 है ?
उत्तर – 
पृथ्वी के चुंबकत्व के अवयवों V, H, I और  V, H, O में संबंध स्थापित
चित्र में पृथ्वी के परिणामी चुंबकीय क्षेत्र की I कि दिशा OC है तथा नमन कोण θ है इसे दो भागों में विभाजित किया गया है
OB दिशा में क्षैतिज घटक H=ICosθ ————-(1)
OA दिशा में ऊधर्वाधर घटक V=ISinθ  ———(2)  
 
 
प्रश्न – 16) चुंबकीय तूफान किसे कहते हैं ?
 
उत्तर – कभी-कभी पृथ्वी के चुंबकीय अवयवों में परिवर्तन अनियमित तथा अकस्मत होते हैं इन परिवर्तनों को चुंबकीय तूफान कहते हैं यह परिवर्तन पृथ्वी के सभी स्थानों पर एक साथ होते हैं यह परिवर्तन प्रायः तब होते हैं जबकि सूर्य में बड़े-बड़े धब्बे दिखाई देते हैं या ज्वालामुखी का विस्फोट होता है इन परिवर्तनों के समय रेडियो तरंगों के प्रसारण तथा अभिकरण में कठिनाई होती है तथा कंपास सुई भी अपनी दिशा बताने का गुण खो देती है|
 
प्रश्न – 17) उत्तर ध्रुवीय ज्योति किसे कहते हैं ?
 
उत्तर – चरम उत्तरी अक्षांश पर रंग बिरंग तथा सुंदर प्रकाश दिखाई देते हैं जिसे उत्तर ध्रुवीय ज्योति कहते हैं| यह घटना चुंबकीय उत्तरी ध्रुव के पास होती है अतः भारत में किसी भी स्थान से यह ज्योति दिखाई नहीं देती इस घटना का कारण पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र है जब बाहर से आने वाले इलेक्ट्रॉनों की धाराएं उत्तरी ध्रुव पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में प्रवेश करती हैं तो उनके मध्य अन्योन्य क्रिया के फलस्वरुप प्रकाश की चमक उत्पन्न होती है जिसे उत्तर ध्रुवीय ज्योति कहते हैं|
 
प्रश्न – 18) प्रतिचुंबकीय पदार्थ किसे कहते हैं इनके गुण लिखिए ?
 
उत्तर – वे पदार्थ जो बाह्य चुंबकीय क्षेत्र में रखे जाने पर चुंबकीय क्षेत्र की विपरीत दिशा में अल्प चुंबकत्व ग्रहण कर लेते हैं प्रतिचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं तथा उनके इस गुण को प्रति चुंबकत्व कहते हैं इन्हें किसी चुम्बक के सिरों के पास लाने पर हल्का सा प्रतिकर्षण बल अनुभव करते हैं यह गुण प्रायः उन पदार्थों में पाया जाता है जिनमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या सम होती है।
उदाहरण:- सोना , तांबा, जस्ता, हीरा, नमक, जल, पारा आदि।
गुण :- 1) यह पदार्थ किसी शक्तिशाली चुंबक के सिरों के समीप लाए जाने पर प्रतिकर्षित होते हैं।
2) आसमान चुंबकीय क्षेत्र में यह पदार्थ क्षेत्र के कम तीव्रता वाले भाग की ओर आकर्षित होते हैं।
3) इन पदार्थों की चुंबकीय प्रवृत्ति ऋणात्मक लेकिन बहुत कम होती है |
4) इन पदार्थों के चुंबकीय के गुणों पर ताप का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
 
प्रश्न – 19) अनुचुंबकीय पदार्थ किन्हें  कहते है ? इनके गुण लिखिए ।
 
उत्तर -19)  वे पदार्थ जो बाह्य चुंबकीय क्षेत्र में रखे जाने पर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में अल्प चुंबकत्व ग्रहण कर लेते हैं, अनुचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं तथा उनके इस गुण को अनुचुंबकत्व कहते हैं इन्हें किसी प्रबल चुम्बक के समीप लाने पर हल्का सा आकर्षण बल अनुभव करते हैं यह गुण  प्रायः उन पदार्थों में पाया जाता है जिनमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या विषम होती है।
उदाहरण:- Al, Na, Pt, Mn, O2, कोपर क्लोराइड आदि।
गुण :-  1) यदि किसी अनुचुंबकीय पदार्थ की छठ को चुंबकीय ध्रुवों के बीच में स्वतंत्रता पूर्वक लटकाते हैं तो छड़ घूम कर अपनी अक्ष को चुंबकीय क्षेत्र के समांतर कर लेती है।
2) आसमान  चुंबकीय क्षेत्र में यह पदार्थ क्षेत्र के अधिक तीव्रता वाले भाग की ओर आकर्षित होते हैं।
3) ताप बढ़ाने पर इनका अनु चुंबकत्व का गुण घट जाता है|
4) इन पदार्थों की चुंबकीय प्रवृत्ति धनात्मक लेकिन बहुत कम होती है|
 
प्रश्न-20) लोहचुंबकीय पदार्थ किसे कहते हैं ? इसके गुण लिखिए।
 
उत्तर – लोह चुंबकीय पदार्थ:- वे पदार्थ जो बाह्य क्षेत्र में रखे जाने पर क्षेत्र की दिशा में प्रबल चुम्बकत्व ग्रहण कर लेते हैं लोह चुंबकीय पदार्थ कहलाते है। इनके इस गुण को लोह चुम्बकत्व कहते हैं।
उदाहरण :- लोहा, कोबाल्ट ,नीकिल ।
गुण :-  1)यह पदार्थ चुम्बक द्वारा तेजी से आकर्षित होते हैं।
2) यह पदार्थ आसानी से अल्प चुंबकीय क्षेत्र द्वारा चुंबकीत किए जा सकते हैं।
3) लोह चुंबकीय पदार्थ का ताप बढ़ाने पर लोहाचुम्बकत्व का गुण घट जाता है।
4) लोह चुम्बकीय पदार्थों की चुम्बकीय प्रवृति धनात्मक तथा बहुत अधिक होती है।
 
प्रश्न-21) अनुचुंबकीय, प्रतिचुंबकीय तथा लौहचुंबकीय पदार्थ में अंतर लिखिए ?
 
उत्तर – अनुचुंबकीय, प्रतिचुंबकीय तथा लौहचुंबकीय पदार्थ में अंतर
 

No

अनुचुंबकीय पदार्थ

प्रतिचुंबकीय पदार्थ

लोहचुंबकिय पदार्थ

01

इन पदार्थों को किसी शक्तिशाली चुंबक के ध्रुवो के मध्य लटकाने पर इनकी लंबाई चुंबकीय क्षेत्र के समांतर हो जाती है |

इन पदार्थों को किसी शक्तिशाली चुंबक के ध्रुवो के मध्य लटकाने पर इनकी लंबाई चुंबकीय क्षेत्र के लंबवत हो जाती है।

यह पदार्थ भी अनु चुंबकीय पदार्थ की भांति व्यवहार करते हैं।

02

ये पदार्थ कम चुंबकीय क्षेत्र वाले भागों से हटकर अधिक चुंबकीय क्षेत्र वाले भागों की ओर जाते हैं।

यह पदार्थ अधिक चुंबकीय क्षेत्र वाले भागों से हटकर कम चुंबकीय क्षेत्र वाले भागों की ओर जाते हैं|

इनका व्यवहार भी अनु चुंबकीय पदार्थ की भांति होता है।

03

 इन पदार्थों के भीतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं वायु की अपेक्षा पास पास होती है।

इन पदार्थों के भीतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं वायु की अपेक्षा कुछ दूरदूर होती हैं।

इन पदार्थों के भीतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं वायु की अपेक्षा अत्यधिक समीप होते हैं।

04

यह पदार्थ प्रबल चुंबक द्वारा हलका आकर्षण बल अनुभव करते हैं

 यह पदार्थ किसी प्रबल चुंबक द्वारा हल्का प्रतिकर्षण बल अनुभव करते हैं।

यह पदार्थ किसी क्षीण चुंबक द्वारा भी तीव्र आकर्षण बल अनुभव करते हैं।

05

उदाहरण– Al, Pt, Mn आदि।

 उदाहरण– Sb, Bi,Au ,जल, एल्कोहोल आदि

उदाहरणलोहा, कोबाल्ट, निकिल।

 
प्रश्न-21) विद्युत चुंबक क्या है ? इसके चुंबकत्व की सामर्थ को प्रभावित करने वाले कारक और उपयोग लिखिए|
 
उत्तर – विद्युत चुंबक एक अस्थाई चुंबक होता है इसे एक नरम लोहे के टुकड़े पर तांबे के तार की कुंडली लपेटकर बनाया जाता है जो चुंबक की भांति केवल तभी तक व्यवहार करता है जबकि कुंडली में धारा प्रवाहित की जाती है जैसे ही कुंडली में धारा का प्रवाह बंद किया जाता है नरम लोहे के टुकड़े का चुंबकत्व समाप्त हो जाता है तथा यह चुंबकीय प्रभाव नहीं दर्शाता है विद्युत चुंबक पराया दो आकृतियों के बनाए जाते है
  • I आकृति का दंड चुंबक |
  • U घोड़े की नाल की आकृति का चुंबक |
विद्युत चुंबक की सामर्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक
 
फेरों की संख्या पर:- परिनालिका में फेरों की संख्या बढ़ाकर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता बढ़ाई जा सकती है |
परिनालिका में प्रभावित धारा पर:- परिनालिका में प्रभावित धारा को बढ़ाकर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता बढ़ाई जा सकती है| 

विद्युत चुंबक के उपयोग:-

  1. भारी लोहे के सामान को उठाने तथा दूर किसी स्थान पर पहुंचाने में |
  2. लोहे की भट्टीओं को लोहे से भरने में | 
  3. अन्य धातु के अयस्क से लोहे को अलग करने में|
  4. घाव आदि से लोहे के टुकड़े को हटाने में |
  5. वैज्ञानिक शोध कार्य में |
प्रश्न-22) विद्युत चुंबक और स्थाई चुंबक में अंतर लिखिए ?
 
उत्तर –  विद्युत चुंबक और स्थाई चुंबक में अंतर 
 

No.

विद्युत चुंबक

स्थाई चुंबक

01

यह नर्म लोहे से बनाया जाता है।

यह स्टील से बनाया जाता है।

02

इसमें केवल तभी तक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है जब तक की कुंडली में धारा बहती है अर्थात इससे उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र अस्थाई होता है।

इससे उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र स्थाई होता है

03

इसकी चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता बदली जा सकती है।

इसकी चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता नहीं बदली जा सकती है।

04

चाहे जितने प्रबल विद्युत चुंबक बनाए जा सकते हैं।

स्थाई चुंबक बहुत अधिक प्रबल नहीं होते हैं।

05

विद्युत चुंबक के सिरों की ध्रुवता बदली जा सकती है

स्थाई चुंबक के सिरों की ध्रुवता नहीं बदली जा सकती है।

 

 

 

प्रश्न-23) स्थाई चुंबक की तुलना में विद्युत चुंबक किस प्रकार श्रेष्ठ हैं?

उत्तर –  स्थाई चुंबक की तुलना में विद्युत चुंबक अधिक श्रेष्ठ है इनके निम्न कारण है।
  1. विद्युत चुंबक, स्थाई चुंबक की अपेक्षा अधिक प्रबल चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकता है।
  2. विद्युत चुंबक द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता इसमें प्रभावित धारा को बदल कर इसकी परिनालिका में फेरो की संख्या बदल कर बदली जा सकती है जबकि स्थाई चुंबक में ऐसा कर सकना संभव नहीं है।
  3. विद्युत चुंबक के सिरों की ध्रुवता, इसमें प्रवाहित धारा की दिशा विपरीत करके बदली जा सकती है, जबकि स्थाई चुंबक के सिरों की ध्रुवता बदलना संभव नहीं है|

Download PDF MP Board Class 12th Physics Notes Chapter 5 Magnetism and Matter

Click Here 

Thank You!!!

Also Read-

Leave a Comment